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लेखनी कहानी -24-Dec-2022 मारी झांपी नरसंहार

यूं तो इतिहास में ऐसी अनेक घटनाऐं हुई हैं जिनमें लोगों का सामूहिक नरसंहार हुआ है और जो कभी समाचार भी नहीं बनी हैं । काश्मीर का नरसंहार भी एक ऐसी ही घटना थी जिस पर "काश्मीर फाइल्स" फिल्म बनी थी जिसे कुछ खैरातियों ने "प्रोपोगैण्डा" कहकर एक समुदाय का मजाक उड़ाया था । ये खैराती "वामी कांगी" ही हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का ढोल पीटते नहीं थकते पर "लज्जा" और "सैटनिक वर्सेज" जैसी किताबों पर सबसे पहले बैन लगाते हैं । इन वामपंथियों के शासनकाल में हुए एक भीषण नरसंहार की बात करते हैं जिसमें हजारों दलितों का नरसंहार कर दिया गया था और सैकड़ों दलित महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया था । आइए, आज एक ऐसे ही प्रकरण के बारे में जानते हैं जो मारी झांपी नरसंहारके नाम से जाना जाता है । 

इस प्रकरण को जानने के लिए हमें 1947 से पहले के समय में जाना होगा । तब भारत पर अंग्रेजों का राज्य था । बंगाल एक सूबा था जहां पर दलितों का एक नेता जोगेन्द्र नाथ मंडल हुआ करता था । वह "नामशूद्र" जाति से था और तत्कालीन बंगाल आज के बांग्लादेश के बारिसाल का रहने वाला था । अंबेडकर के आंदोलन से प्रभावित होने के कारण उसने भी बंगाल में वैसा ही आंदोलन चलाया था इसलिए वह पूर्वी भारत में दलितों का सर्वमान्य नेता बन गया था । 

सवर्णों से द्वेष रखने के कारण उसका झुकाव मुस्लिम लीग की ओर हो गया था और वह मुहम्मद अली जिन्ना को सर्वश्रेष्ठ नेता मानने लगा था । "भीम और मीम" का नारा सर्वप्रथम उसने ही दिया था । वह मानता था कि यदि दलित भारत में रहेंगे तो वे सवर्णों के जुल्म का शिकार होंगे । इसलिए वह यह मानता था कि दलितों को मुसलमानों का साथ देना चाहिए । सन 1946 में जब मुस्लिम लीग ने "सीधी कार्यवाही" का आह्वान किया और 16 अगस्त 1946 को नोआखाली में हजारों हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार किया गया था तब इसी जोगेन्द्र नाथ मंडल ने दलितों का आह्वान किया था कि वे मुसलमानों का विरोध नहीं करें अपितु वे सवर्णों का विरोध करें और मुसलमानों का साथ दें  । दलित वर्ग ने उसकी बात मान ली थी । 

भारत विभाजन के समय तत्कालीन असम प्रांत के "सिलचर" इलाके में हिन्दू और मुसलमान लगभग बराबर की संख्या में थे । इस क्षेत्र को भारत या पाकिस्तान किसी एक देश में जाना था , इसका निर्णय जनमत संग्रह द्वारा किया जाना था । तब जोगेन्द्र नाथ मंडल ने सभी दलितों का आह्वान किया था कि वे पाकिस्तान के पक्ष में वोट करें । दलितों के द्वारा पाकिस्तान के पक्ष में वोट देने के कारण सिलचर का क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया । चूंकि जोगेन्द्र नाथ मंडल को अपनी राजनीति करनी थी इसलिए वह भी पाकिस्तान चला गया था । 

मुहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल का भरपूर उपयोग किया । उसे संविधान सभा का अंतरिम अध्यक्ष बना दिया और लियाकत अली मंत्रिमंडल में उसे कानून व श्रम मंत्री बना दिया । जोगेन्द्र नाथ मंडल इससे संतुष्ट हो गया । 

सन 1947 में भारत विभाजन के समय जो भयंकर दंगे हुए थे उससे हम सभी परिचित हैं । पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान में जिस तरह हिन्दुओं का नरसंहार और महिलाओं का गैंगरेप हुआ और उन्हें दासी बना लिया था उसके जख्म अभी भी भरे नहीं हैं ।  तब जोगेन्द्र नाथ मंडल को अपनी गलती का अहसास हुआ । पीड़ित परिवारों में दलित भी थे और सवर्ण भी । तब उसे "भीम मीम" समीकरण की असलियत पता चली थी । लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी । हिन्दू समुदाय तभी से पाकिस्तान से भारत आने की कोशिश करता आया है और आ भी रहा है । 

सन 1950 में जोगेन्द्र नाथ मंडल लियाकत अली को अपना इस्तीफा सौंपकर वापिस भारत आ गया । उसने लियाकत अली को सौंपे अपने स्तीफे में उन सब बातों का जिक्र किया है जो मैंने आपको बताई हैं । बाद में वह पश्चिम बंगाल में बस गया और चुनाव लड़ता रहा । उसके मुस्लिम प्रेम के कारण लोग उसे "जोगन अली" के नाम से पुकारते थे और दलितों की दुर्दशा के लिए उसे जिम्मेदार मानते थे इसलिए उसकी हर बार जमानत जब्त होती रही । मारी झापी घटना के मूल में यही विषय है । 

पूर्वी पाकिस्तान में हिन्दुओं पर होने वाले दमन के कारण हिन्दू भारत आने लगे । "नामशूद्र" दलित भी वहां से पलायन कर भारत आ गये । भारत में इन्हें "दण्डकारण्य" में जगह दे दी गई । दंडकारण्य एक वन क्षेत्र है जो बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ राज्यों में फैला था । सन 1961 में नेहरू मंत्रिमंडल में इन दलितों की दीन हीन दशा पर रामनिवास मिर्धा ने लोकसभा में प्रश्न भी उठाया था । लोकसभा की कार्रवाई से इस तथ्य की पुष्टि की जा सकती है । 

सन 1971 में पाकिस्तान ने बंगालियों पर जो दमन किया था वो तो सबको पता ही होगा । दमन में पिसने वाले लोग अधिकांशत: हिन्दू दलित ही थे । उस दमन से बचने के लिए वे लोग भारत भाग कर आ गये और दंडकारण्य में रहने लगे । 
सन 1974 - 75 में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राम चटर्जी  और ज्योति बसु ने इन दलितों को अपना वोट बैंक बनाने के उद्देश्य से यह ऐलान कर दिया कि यदि पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी तो दंडकारण्य में रहने वाले सभी दलित बांग्लादेशियों को बंगाल में बसाया जायेगा । इस प्रकार इस वादे पर विश्वास करके ये अप्रवासी दलित बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल में आ गये और सुंदर वन इलाके में एक निर्जन टापू "मारी झांपी" में रहने लगे । इन लोगों ने छोटी मोटी टापरी बना ली थी और बिजली पानी के कनेक्शन भी ले लिये थे । सन 1977 - 78 में पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बन गई थी जिसके मुख्य मंत्री ज्योति बसु थे । 

मारी झांपी को यद्यपि "टाइगर रिजर्व" कहा गया था लेकिन तब तक रिकॉर्ड में वह टाइगर रिजर्व के रूप में दर्ज नहीं था । टाइगर रिजर्व के नाम पर ज्योति बसु ने इन दलितों को वहां से भगाने का हुक्म सुना दिया । ये दलित लगभग 150000 की संख्या में थे । पुलिस प्रशासन ने मारी झांपी में रातों-रात धारा 144 लगा दी और 30 कंपनी फोर्स लेकर पूरे टापू को चारों ओर से घेर लिया । कितने लोग मारे गये, आज तक इसका कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है । जो जिंदा बच गये थे उन्होंने मरने वालों की संख्या हजारों बताई है । वामपंथी सरकार ने दो लोगों का मरना बताया है जबकि इस नरसंहार में हजारों लोग मरे थे और सैकड़ों महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था । छोटे छोटे बच्चों तक की हत्याऐं कर दी गई थी । इस घटना को कम्युनिस्ट सरकार ने पूरी तरह दबा दिया और उस समय का विपक्ष ( कांग्रेस ) भी उस पर मौन साधे रहा । मीडिया तो वामपंथियों का जेबी है, उसे खामोश रहना था, रहा । 

तत्कालीन एक पत्रकार , हलदर ने यह घटना अपने पुत्र दीप हलदर को बताई   तब पत्रकार दीप हलदर ने प्रभावित लोगों से संपर्क कर इस घटना की जानकारी की और एक किताब "Blood Island" लिखी   यह किताब अमेजन पर उपलब्ध है । हर कोई पढ सकता है । इस पर एक डॉक्युमेंट्री फिल्म भी बनी है जो यू ट्यूब पर उपलब्ध है , कोई भी देख सकता है । दिलत हितैषी, गरीबों के मसीहा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र की दुहाई देने वालों की हकीकत यही है । अगर अभी भी आंख ना खुलें तो फिर क्या कहा जा सकता है । उनके लिए दुआऐं ही मांगी जा सकती है । 

श्री हरि 
24.11.22 


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4 Comments

Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Dec-2022 10:56 PM

धन्यवाद जी

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Sachin dev

24-Dec-2022 06:53 PM

Nice 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Dec-2022 10:57 PM

धन्यवाद जी

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